बेमौसम Barish Kyon Hoti Hai- जाने असली वजह
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ने अक्सर देखा होगा की कभी भयंकर गर्मी तो कभी बेमौसम मूसलाधार बारिश और कभी कड़ाके की ठंड पड़ने लगती है पिछले कुछ सालों में भारत समेत दुनिया भर में मौसम के ऐसे अलग रूप देखे जा रहे हैं। मौसम में असमय इतने बड़े बदलाव क्यों आते हैं आखिर bemausam barish kyon hoti hai इसके पीछे की वजह क्या है आइये
जानते हैं-
बेमौसम बारिश क्यों होती है
यहाँ
पहले हम जलवायु के बारे मे जान लेते हैं, जलवायु एक लंबे समय में या कुछ सालों में किसी स्थान का औसत मौसम है। वर्तमान जलवायु परिवर्तन का असर
ग्लोबल वार्मिंग और मौसम के पैटर्न दोनों पर पड़ रहा है ये ग्लोबल वार्मिंग और मानसून में अस्थिरता को बढ़ा रही है इसके चलते गर्मी के मौसम की अवधि
बढ़ रही है और बारिश की अवधि कम हो रही है।
मौसम विशेषज्ञों के अनुसार मौसम में बदलाव को अगर बड़े पैमाने पर देखें तो
इसके पीछे अलनिनों
और लानीना नामक दो प्राकृतिक घटनाए
जिम्मेदार है और जलवायु
परिवर्तन इन्हीं परिस्थितियों में हुए बदलाव के कारण होता
है
अलनीनो एक भोगोलीय घटना है जो समुद्र की सतह पर होती है, इसमे समुद्र की सातह का तापमान सामान्य से बहुत अधिक बढ़ने लगता है। इसका मौसम पर बहुत गहरा असर पड़ता है इसके आने से दुनियाभर मे प्रभाव दिखता है और बारिश, ठंड में अंतर दिखाई देता है। वैसे तो ये घटना भूमध्य रेखा के आस पास प्रशांत महासागर मे घटित होती है लेकिन धरती के सभी जलवायु-चक्र इसके असर मे है।
अलनीनो घटना हर साल सक्रिय नही होती ये ये 2 से 7 साल के अंतराल मे होती है और इसका टाइम लिमिट 9 महीने होता है। जिस साल ये घटना एक्टिव होती है उस साल मानसून पर इसका निश्चित रूप से असर पड़ता है जिससे पृथ्वी के कुछ हिस्सो मे भारी बारिश और कुछ हिस्सो मे अकाल की मार सहते है । भारत मे अलनीनो का असर केवल बारिश के महीने मे ही दिखता है लेकिन बीते दो दशक से दूनया भर मे इसका व्यापक असर देखा गया है साल 1997-98 मे तो इस घटना का प्रभाव सबसे ज़्यादा था।
लानीना भी अलनीनो की ही तरह एक प्रकृतिक घटना है इसमे समुद्रीय सतह का तापमान असामान्य रूप से काफी कम हो जाता है इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर पड़ता है, इस घटना को वैज्ञानिक cold event भी
कहते हैं।
लनीनों
यानि सतह का तापमान कम होना, ये घटना अक्सर अलनीनो के बाद होती है लेकिन ये ज़रूरी नही की दोनों
घटनाएँ एक के बाद एक हो बल्कि अलनीनो
घटनी कई बार भी हो सकती है यानि कई अलनिनों एक साथ भी आ सकते हैं।
ला नीना से आमतौर
पर उत्तर पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण पूर्व में मौसम गर्म होता है भारत में इस
दौरान भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी ठीक-ठाक होती है।
साल 2023 मैं भी इसका जलवायु परिवर्तन का यही पैटर्न काम कर रहा है पहले मौसम स्थिर होता
था एक तय समय और सीमा
तक गर्मी, बरसात और ठंड पड़ती थी मगर पिछले 50 सालों से जलवायु परिवर्तन और उपरोक्त दोनों घटनाओ मे अनियमितता के कारण देश ही नहीं दुनिया भर का मौसम बदल रहा है।
अलनीनो और लानीना दोनों
आमतौर पर 9 से 12 महीने तक रहते हैं लेकिन असाधारण जलवायु परिवर्तन के चलते ये कई वर्षों तक भी रह सकते हैं इन दोनों का असर भारत में भी देखने
को मिलता है जिसके
चलते भारत मे भी कभी-कभी बेमौसम बारिश, अत्यधिक गर्मी आदि
परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
सालों से घरेलू कामों, कारखानों और मानव के परिचलन मे तेल, गैस और कोयले का इस्तेमाल बढ़ता जा
रहा है इसका जलवायु पर
सीधे
तौर पर प्रतिकूल प्रभाव
पड़ता है
जब घरों मे जीवाश्म ईंधन जलता है तो उससे निकलने वाली गैस मे सबसे ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड होता है और यही CO2 वातावरण
के लिए सबसे ज़्यादा हानिकारक है।
मानव जनित
गतिविधियों की वजह से वातावरण में गैसों की बढ़ती मौजूदगी के कारण धरती का तापमान
बढ़ने लगा है जिसका
हमे गर्मियों मे भीषण गर्मी, सार्दियों
मे कड़ाके की ठंड और बरसात मे बाढ़ जैसे हालातो के रूप मे सामना करना पड़ता है।
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