प्लेसिबो क्या होता है || What is Placebo ||

 चोट लगने पर हर किसी को दर्द होता है लेकिन क्या आपने कभी सोचा की ये दर्द क्यों होता है, चोट लगने पर त्वचा से एक सिग्नल ब्रेन को जाता है और ब्रेन उसको रिसीव करता है और तब आपको दर्द महसूस होता है। लेकिन क्या कभी ऐसा हो सकता है कि चोट लगे और दर्द महसूस न हो, तो इसका जवाब है हाँ। प्लेसिबो(Placebo) से ऐसा हो सकता है, तो आइये जानते है प्लेसिबो क्या होता है के बारे में।  


प्लेसिबो क्या होता है -  

प्लेसिबो(Placebo) इलाज का एक तरीका है जो दिखने में रीयल लगता है पर ऐसा होता नहीं है। प्लेसिबो एक तरह का ग्लूकोस या किसी एनर्जि का टैबलेट या कैप्सुल के रूप मे सप्प्लीमेंट(Supplement) होता है जो पूरी तरीके से इंसान के माइंड पर असर करता है, ये मस्तिष्क मे एक तरह का भ्रम पैदा करता है जिससे मरीज को ऐसा महसूस होता है कि वो ठीक हो रहा है। प्लेसिबो लेने से शरीर में एंडोर्फिन नाम का हार्मोन रिलीज़ होता है जो नेचुरल तरीके से दर्द को कम करता है।  

प्लेसिबो क्या होता है


प्लेसिबो इफेक्ट क्या है-

प्लेसिबो ट्रीटमेंट का मरीज पर मानसिक रूप से असर पड़ता है, ये मरीज को एक भ्रम का एहसास कराता है जिससे मरीज को ऐसा लगता है कि उसने जो दवा खाई है उसके असर से वो ठीक हो रहा है। प्लेसिबो ट्रीटमेंट का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है लेकिन कुछ परिस्थितियों में मरीज पर इसका पॉज़िटिव(Positive) इफेक्ट पड़ता है। ये दर्द-तनाव, डिप्रेशन, स्लीप-डिसऑर्डर, खराब पाचन तंत्र, और थकान आदि जैसी समस्याओं में सबसे ज्यादा प्रभावी देखा गया है।  

प्लेसिबो क्या होता है

प्लेसिबो इफेक्ट (Placebo Effect) पर रिसर्च करने वाले प्रोफेसर टेड ने बताया-'प्लेसिबो का प्रभाव एक तरीके से पॉज़िटिव(Positive) सोच है जो भरोसा दिलाता कि ये इलाज काम करेगा। यह मस्तिष्क और शरीर के बीच एक मजबूत संबंध बनाता है। प्लेसिबो किसी बीमारी को ठीक नहीं करता बल्कि ये दिमाग में भ्रम डालता है कि दवा लेने से बीमारी ठीक हो रही है’। 


प्लेसिबो इफेक्ट कैसे काम करता है- 

प्लेसिबो इफेक्ट पर किए गए शोध से पता चलता है कि ये मरीज के दिमाग और शरीर के बीच एक तरह का संबंध स्थापित करता है। इसका सबसे आम सिद्धांत ये है कि प्लेसिबो प्रभाव व्यक्ति की उम्मीदों का नतीजा होता है। मरीज इससे जो उम्मीद रखेगा इसका असर भी वैसा ही पड़ेगा सकारात्मक या नकारात्मक। जैसे कि अगर किसी व्यक्ति को उम्मीद है कि प्लेसिबो(Placebo) टेबलेट लेने से वो ठीक हो जाएगा तो संभव है कि शरीर में अपने आप कुछ ऐसे हार्मोन्स रिलीज़ होने लेगेंगे या कोई ऐसी प्रक्रिया होने लगेगी कि जिसका असर वास्तविक दवा जैसा होने लगेगा।  

उदाहरण के लिए, यदि लोगों को प्लेसिबो देकर बताया जाए की ये एक उत्तेजित करने वाली दवा है तो गोली लेने के बाद अपने आप उनका पल्स रेट (Heart Rate) और ब्लड प्रेशर (BP) बढ़ जाएगा। वहीं अगर ये बताया जाए कि ये दवा लेने से उन्हें नींद अच्छी आएगी तो वे खुद को बहुत रिलैक्स महसूस करने लगेंगे। 



प्लेसिबो का इस्तेमाल कब किया जाता है- 

प्लेसिबो का इस्तेमाल आमतौर पर किसी नई दवा के असर के बारे में पता करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के तौर पर- दो टीमो मे से एक टीम को कोलेस्ट्रॉल कम करने की नई दवा दी जाती है वहीं दूसरी टीम को प्लेसिबो दिया जाता है, लेकिन उनमे से किसी को ये नही बताया जाता कि किस को क्या दिया गया है, बस सबको यही पता होता है कि उन्हे कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा दी गयी है। इसके बाद जांचकर्ता दी गई दवा और प्लेसिबो के असर की तुलना करते हैं। इस तरह से नई दवा के प्रभाव और उसके साइड इफेक्ट के बारे में पता लगाया जाता है।  

प्लेसिबो क्या होता है


प्लेसिबो का साइड इफ़ेक्ट-

प्लेसिबो ट्रीटमेन्ट का एक साइड इफैक्ट भी है, इसका असर पॉजिटिव (Positive) या निगेटिव (Negative) दोनों पड़ सकता है। जहां एक तरफ इससे मरीज बेहतर महसूस कर सकता है, वहीं दूसरी तरफ उसे ऐसा भी लग सकता है कि ट्रीटमेंट का उस पर बुरा असर हो रहा है। इसका असर पूरी तरह से मानसिक होता है। अगर कोई व्यक्ति दवा लेने के बाद अच्छा महसूस करता है या अच्छा सोचता है तो उस पर प्लेसिबो का पॉजिटिव असर पड़ेगा। वहीं अगर कोई व्यक्ति ये महसूस करता है कि दवा लेने के बाद उसे सिरदर्द, मितली या बेहोशी जैसी शिकायत आ रही है तो उस पर प्लेसिबो का निगेटिव असर पड़ेगा।  

हालांकि, प्लेसिबो ट्रीटमेंट का कोई वैज्ञानिक आधार नही है लेकिन इसको पूरी तरह नकारा भी नही जा सकता। 


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